आचार्य श्रीजी का अवतरण दिवस बड़ी धूमधाम श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया

कटनी। आज की यह पूर्णिमा विशेष पूर्णिम इस लिये है क्यों कि आज के दिन 10 अक्टूबर 1946 में कर्नाटक के सदलगा ग्राम में श्रावक श्रेष्ठी श्री मल्लपा, मॉश्रीमंती जी के गर्भ आचार्य श्री विद्यासागर जी का जन्म हुआ था उस समय देश परतंत्र था आचार्य श्रीजी ने स्वतंत्रता का जीवन जीने का मार्ग बतलाया और उन्होने आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज से आचार्य पद प्राप्त कर जीव दया,के लिये 130 गौशालएं तथा मानव सेवा के लिए भाग्योदय बच्चियों को संस्कारित करने लिए प्रतिभा स्थली की स्थापना करने की प्रेरणा समाजजनों को दी। आज आचार्य श्री जी भारत की धरोहर नहीं बल्कि पूरे विश्व की धरोहर बन चुके है। मुनिश्री ने आगे कहा आप मे विश्व कल्याण की भावना के साथ सभी जीवों के प्रति कल्याण की भावना बनी रहती है ऐसे गुरूदेव को पाकर हम धन्य है वे दीर्घ आयु हो और जैन धर्म की पाताका फहरायते रहे उक्त आशय के उद्गार आचार्य ज्ञान सागर सभागार में निर्यापक मुनि श्री समता सागर महाराज ने देते हुये बतलाया कि आज आचार्य श्रीजी का अवतरण दिवस के साथ-साथ कृतज्ञता ज्ञापित करने का भी दिन है।


प.पू. महासागर जी महाराज ने धर्मसभा को बतलाया कि जैन समाज आचार्य श्रीजी के उपकार को कभी भूल नहीं पायेगा जिन्होने धर्मप्रभावना के लिए हमें प्रेरित किया और हमें संयम के मार्ग में लगाया ऐसे गुरूदेव को पाकर हम धन्य हुये आज उनके द्वारा बनाई गई ऐसी कृतिया देखते है तो हमारे गुरू तीर्थकर से कम नहीं दिखते। प.पू. निष्कंप सागर जी महाराज ने कहा किसी भी महापुरूष का जन्म पापियों के संघहार के लिये होता है पर हमारे आचार्य श्री जी का जन्म मानव कल्याण एवं जीव दया के लिऐ हुआ है मुनि श्री ने आगे कहा कि माता-पिता में इतनी विशुद्धी रही होगी जिनने मुनि श्री विद्यासागर जी को जन्म दिया और आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने मुनि विद्याधर को अपना आचार्य पद देकर आचार्य श्री जी को सभी के कल्याण का मार्ग बतलाने का आर्शीवाद दिया।

ऐलक श्री निश्चिय सागर महाराज ने धर्मसभा को बतलाया कि शरद पूर्णिमा की पावन तिथि में एक आत्मा ने अवतार लिया था और जब वे धरा पर आये तो यह धरा धन्य हो गई थी जो आज जैन शासन की महिमा मंडित कर रहे है ऐसी पवित्र आत्मा को सभी नमन करते है। उन्होने अनेक ग्रंथों का निर्माण किया जिनको पढ़ने से हम संस्कारित हो रहे है। कार्यक्रम के प्रथम चरण में बाहर से आये सधर्मी श्रावक-श्राविकाओं के साथ स्थानीय समाज के सभी संस्थाओं ने आचार्य श्री जी के पूजन के अर्द्य चढ़ाकर पुण्य लाभ प्राप्त किया श्रावक श्रेष्ठी एवं कार्यक्रम के पुण्यआर्जक बनने का सौभाग्य डॉ. अरविन्द्र सिंघई, डॉ. समीर जैन के परिजनों को प्राप्त हुआ। दीप प्रज्जवलन पार्श्वनाथ नवयुवक मण्डल हाउसिंग बोर्ड एवं समाज के श्रेष्ठीजनों के द्वारा किया गया। इस अवसर नन्ही देवरी की पाठशाला से आये बालक-बालिकाओं द्वारा दहेज प्रथा पर नाटक प्रस्तुत किया गयाजिसे देखकर समाजसेवी स.सि.सुधीर कुमार जैन द्वारा सभी बालक-बालिकाओं को गणेवेश देने की घोषणा की गई उपस्थितजनों को सोचने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम स्थल पर शरद सरावगी,सतीश सरावगी,मनीष सरावगी के परिजनों द्वारा खीर वितरण के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ- धर्मसभा का संचालन मिट्ठूलाल जैन द्वारा किया गया। हाउसिंग बोर्ड युवा परिषद् द्वारा मेन रोड़,अहिंसा चौराहे,कांच मंदिर के सामने श्रद्धालुओं को लड्डू खीर वितरण किया गया।

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