बाजार विशेषज्ञों के अनुसार रद्दी के दामों में अभी और इजाफा होना संभव नहीं
संतोष मिश्रा, भोपाल। अखबार की रद्दी के दाम मानों धरातल पर पहुंच गए हैं। 40 – 50 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकने वाली रद्दी की कीमत एकाएक आधी हो गई है। इतना ही नहीं, बाजार विशेषज्ञों के अनुसार रद्दी के दामों में अभी और इजाफा होना संभव नहीं दिख रहा है। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिए जाने के बाद भी खुलेआम बेची जा न रही होती तो रद्दी की पूछ-परख बढ़ती। अखबारी कागज और अन्य कागजों से बने लिफाफों को प्लास्टिक थैलियों के सबसे बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जाता और कागज से बने लिफाफों की मांग भी बढ़ती।
प्रदेश के किसी भी शहर में रद्दी 30 रुपए प्रति किलो तक के भाव में नही बिक पा रही है। 2022 में केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद कीमतों में इजाफा हुआ था। सिंगल यूज प्लास्टिक से बने 19 तरह के आइटमों पर बैन के बाद दुकानदारों के पास विकल्प में अखबारी कागज से बने लिफाफों को प्लास्टिक थैलियों के सबसे अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था। बाजार मेें कागज से बने लिफाफों की मांग भी तेजी से बढ़ाने के कारण कागज की रद्दी के भाव भी बढ़े थे।
इस समय कागज की रद्दी की कीमत औसतन 20-30 रुपए प्रति किलो हो गई है, इससे बनने वाले लिफाफों की डिमांड न होने से रद्दी की कीमत और घटने की संभावना है। मांग घटते ही कई घरों ने अखबार पढ़ना बंद कर दिया। देखने में आ रहा है कि अखबारों ने अपने दामों में नाम मात्र की वृद्धि तो कर ली पर रद्दी के दाम न बढ़ने के कारण एवं कई डिजिटल प्लेटफार्म आ जाने के कारण कुछ अखबारों के सरकुलेशन में दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है। जिसके चलते कुछ अखबारों के पैक बंडल अखबार की रद्दी बेचने वाले दुकानदारों के यहां से आजकल खरीदे जा रहे हैं।
प्रशासन द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण कागज के लिफाफे बनाने का काम एक बार फिर लगभग बंद हो गया है। कई स्व सहायता समूहों ने फिर से ये लिफाफे बनाने का काम बंद कर दिया है। समोसे-कचौड़ी के कारोबार सहित किराना की दुकानों में पुनः सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी पन्नीयों में खाद्य सामग्री दी जा रहा है। प्रशासनिक कार्रवाई न होने कारण लोग फिर से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
- स्व. श्री विनोद कुमार बहरे