भगवान तक पहुंचने का मार्ग गुरु सेवा से ही मिलता है,गुरु की सेवा से ही सब सम्भव…..
कटनी/ शेरा मिश्रा। विजयराघवगढ़ मे आज पांचवे दिन श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह मे आज कथा व्यास वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रम्हर्षि वेदान्ती महाराज ने कृष्ण जन्म के उपरांत बाल लीला का वर्णन कर गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई। कथा का शुभारम्भ भक्तो द्वारा कथा व्यास जी की पूजा अर्चना की गयी प्रधान श्रोताओं व निलकंठेशवर भक्ति धाम के संचालक मदनलाल ग्रोवर के पुत्र बाबू ग्रोवर आदी ने कथा व्यास जी के श्रीचरणों मे पुष्प भेंट कर आशिर्वाद प्राप्त किया व्यासजी ने निलकंठेशवर भक्ति धाम का बखान अपने मुखारविंद से करते हुए महादेव की नगरी निलकंठेशवर भक्ति धाम के देवी देवताओं को नमन किया। तथा कथा का शुभारम्भ करते हुए कथा व्यास जी ने श्रवण कराया की भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के बारे में अनेकों कथाएं है नटखट माखन चोर से गांव के नर-नारी ही नही वहा के पशु-पक्षी भी उनसे प्रेम करते थे। जन्म के समय ही चमत्कारी कंस के कारावास में जन्म लेने के बाद, श्री कृष्ण के जन्म होते ही कारावास के दरवाज़े खुल गए थे गोवर्धन पर्वत उठाना: एक बार इंद्र देव ने गोकुल में इतनी बारिश कर दी थी कि गांव डूबने लगा था इस पर कृष्ण ने बहुत छोटी उम्र में ही एक उंगली पर विशाल गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। तथा एक बार खेलते हुए कृष्ण ने मिट्टी खा ली थी और जब यशोदा ने कृष्ण का मुंह खोला, तो उन्हें पूरा ब्रह्माण्ड दिखाई दिया और एक बार जब कंस ने कृष्ण को मारने के लिए पूतना को भेजा था तो पूतना भेष बदलकर आई थी लेकिन बाल कृष्ण उसे पहचान गए थे और उन्होंने पूतना का बध कर दिया था। एक बार तो कालिया नाग को सबक सिखाना पडा श्री कृष्ण ने जब यमुना नदी पर कालिया नाग ने कब्ज़ा जमा लिया था तब कृष्ण जी जानबूझकर खेलते-खेलते अपनी गेंद नदी में फेक दि, उसे लाने के लिए कृष्ण नदी में कूद पड़े और कालिया नाग को सबक सिखाया था। श्रीकृष्ण की सबसे हास्य शरारत माखन चोरी थी। कृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुरा कर खा जाते थे, इस वजह से गांव वाले उनकी शिकायत यशोदा के पास लेकर पहुंच जाते थे किन्तु गाव के लोगों को झुठा साबित कर कृष्ण मां को रिझा लेते थे। आनन्दित कथा सुन भक्तो मे खुशी की नयी ऊर्जा दिखाई दे रही थी राधारानी के जय कारों के साथ सम्पूर्ण कार्यक्रम स्थल गुंजायमान हो रहा था। भावविभोर भक्ति मे लिन भक्तो को कथा श्रवण करा रहे वेदान्ती महाराज ने अंत मे आयोजन कमेटी व सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। और कहा की धार्मिक नगरी विजयराघवगढ़ के भक्त भी धार्मिक है। चारो दिशाओं मे देवी देवताओं के तिर्थ स्थल होना इसका प्रमाण है। कथा उपरांत श्रीमद् भागवत कथा की आरती सभी भक्तो की उपस्थिति मे सम्पन्न हुई।
- स्व. श्री विनोद कुमार बहरे