आध्यात्मिक समागम में मिलेगा संतों के सानिध्य, विजयराघवगढ़ के बंजारी स्थित रामराजा पहाड़ हरिहर तीर्थ विश्व पटल पर बनाएगा अपनी विशेष पहचान

51 हजार कलशों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ आज श्री हरिहर तीर्थ का भूमि पूजन, विश्व विख्यात संत जनों के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बनेगे साक्षी


कटनी। आज 12 जून से कटनी जिले के विजयराघवगढ़
के बंजारी समीप महानदी व कटनी नदी के संगम तट पर स्थित दिव्य और आलौकिक राम राजा पर्वत पर ‘हरिहर तीर्थ’ की स्थापना का भूमि पूजन होने जा रहा है, जो विश्व पटल पर अपनी विशेष पहचान बनाएगा। 51 हजार कलशों के साथ विशाल शोभायात्रा से इस महायज्ञ का आगाज होगा। शोभायात्रा भव्य और अकल्पनीय होगी। समारोह में जगतगुरु रामभद्राचार्य जी द्वारा 3 दिवसीय रामकथा का रसपान कराया जाएगा। संतों के विश्राम के लिए मनोरम और आकर्षक संत कुटिया बनाई गई है। इस अवसर पर विश्वभर के प्रख्यात संतों का विशाल समागम होगा और आध्यात्मिक परिचर्चा होगी। इस आध्यात्मिक परिचर्चा में चित्रकूट तीर्थ के दो दर्जन से अधिक विद्वान संतों की सहभागिता होगी। चित्रकूट के सारे प्रमुख मठ मंदिरों के महंत व संत प्रतिभाग करने के लिए जाएंगे। आध्यात्मिक सम्मेलन के संयोजक पूर्व मंत्री एवं विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने बताया कि हिंदू धर्म में विष्णु (हरि) और शिव (हर) का सम्मिलित रूप हरिहर कहलाता है। इनको शंकरनारायण और शिव केशव भी कहते हैं विष्णु व शिव दोनों का सम्मिलित रूप होने के कारण हरिहर वैष्णव और शैव दोनों के लिये पूज्य है। श्री पाठक ने बताया कि विजयराघवगढ़ की ऐतिहासिक व मा शारदा की पावन धरा के समीप भव्य विहंगावलोकन कराते राजा पहाड़ के नाम से प्रचलित महानदी और कटनी नदी के संगम के रूप में पावन प्रयाग जैसी महत्ता लिए क्षेत्र में वृहद हरिहर तीर्थ निर्माण का संकल्प माता, पिता, गुरुवर और क्षेत्र के जन-जन के आशीर्वाद से लिया गया है। हरिहर शब्द ही अपने आप मैं सृष्टि के पालनहार व उसके गतिमान होने को प्रेरणा देता है। देवतुल्य संतों की अनुमति से ‘हरिहर तीर्थ’ में हरि के छठवें अवतार और हर के शिष्य भगवान श्री परशुराम की विश्व की सबसे ऊँची 108 फीट ऊँचाई की गगनचुम्बी अष्टधातु की प्रतिमा, अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्रतिकृति, द्वादश ज्योर्तिलिंग मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, विष्णु दशावतार मंदिर, निषादराज व सबरीमाता का मंदिर, नवग्रह वन, तुलसीवन, रुद्राक्ष वन, चंदन वन एवं रत्नगर्भा भारत भूमि के साकार स्वरूप भारत माता मंदिर का निर्माण किए जाने का संकल्प है, जो जन सहयोग से ही पूर्ण होगा। सतयुग से कलयुग तक सत्य सनातन दर्शन का सुंदर वर्णन लिए एक दिव्य स्थल के निर्माण की कल्पना साकार करने 12 जून से निरंतर एक सप्ताह तक संतों के सानिध्य का लाभ सभी को सौभाग्य के रूप में प्राप्त होगा। विजयराघवगढ़ एवं कटनी जिला ही नहीं वरन् सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को विश्व पटल पर गौरव विभूषित करने वाले ‘हरिहर तीर्थ’ क्षेत्र की स्थापना को इतना भव्य और दिव्य होगा कि युगों-युगों तक सभी का योगदान गौरव के साथ स्मरण किया जाएगा श्री हरिहर तीर्थ समाज समरसता, एकात्मवाद, मानवीय मूल्यों, सनातन धर्म तथा संस्कृति का दिव्य एवं अद्भुत संदेश पप्रदान करेगा । इस विशाल व दुर्लभ हरिहर तीर्थ का भूमि पूजन समारोह देश के विख्यात संत जन जगदगुरु रामभद्राचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरी की गौरवमयी उपस्थिति में किया जाएगा। इस अवसर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित विश्व विख्यात संत और गुरु जन इस श्री हरिहर तीर्थ का भूमि पूजन के साक्षी बनेंगे। इस अवसर पर संतश्रेष्ठ रामभद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से सभी श्रद्धालु रामकथा का श्रवण करेंगे पांच दिवसीय रामकथा की सुंदर तिथियों के मध्य दीदी साध्वी भी सहभागी होगी. महामंडलेश्वर कैलाशनद गिरी, जितेंद्रनंद सरस्वती, राजेश्वरानंद आदि का आशीर्वाद मिलेगा। संत जनों के शुभाशीष अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी का आतिथ्य भी प्राप्त होगा। इस मौके पर सत्य सनातन संस्कृति धर्म सभा के रूप में 13 जून को संतों के मध्य विमर्श शास्त्रार्थ भी आयोजित होगा, जिसका संचालन प्रख्यात ओजपूर्ण वक्ता एवं फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा करेंगे।
विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक ने बताया कि मेरे पूज्य गुरुदेव पं. देवप्रभाकर जी शास्त्री ‘दद्दाजी’ ने उनके पूज्य गुरूदेव धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के हरिहरात्मक अनुष्ठान संकल्प को अपना संकल्प मानकर 131 सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण महारूद्रयज्ञ महारूद्राभिषेक तथा श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ को एक ही छत के नीचे कराकर हम शिष्यों को शैव, वैष्णव और शाक्त परम्परा का दर्शन एक साथ कराया। अपने पूज्य गुरूदेव के संकल्प एवं सानिध्य से प्राप्त हरिहरात्मक यज्ञ के विधान और उसके जन कल्याणकारी प्रभाव का स्मरण करते हुए अनायास मेरे अंतःकरण में एक दिव्य तीर्थ क्षेत्र की परिकल्पना जाग्रत हुई। पूजनीय पिता जी कर्मयोगी पं. सत्येन्द्र पाठक जी के संस्कारों की परिणिति है कि ऐसे दिव्य तीर्थ की परिकल्पना को मूर्तरूप देने के लिए विद्वजनों, विज्ञों व संतों का आशीष लेकर विजयराघवगढ़ नगर के समीप महानदी व कटनी नदी के संगम तट पर स्थित दिव्य और आलौकिक राम राजा पर्वत पर ‘हरिहर तीर्थ’ की स्थापना सुनिश्चित हुई।

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