कटनी। हाल के दिनों में अचानक होने वाली मौतों और हार्ट अटैक के कारण कार्डियक अरेस्ट (दिल की धड़कन बंद होना) की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। सोशल मीडिया पर बच्चों समेत युवाओं में कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जो इस समस्या को और गंभीर बनाते हैं। इस स्थिति में यदि लोगों को बेसिक लाइफ सेविंग सपोर्ट (बीएलएस) के बारे में जानकारी हो और सही समय पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेसुसीटेशन) किया जाए, तो किसी व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है या उसे सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुंचाकर चिकित्सा सहायता प्राप्त की जा सकती है।
पश्चिमी देशों में, जैसे कि अमेरिका, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जैसी संस्थाएं नागरिकों को बेसिक लाइफ सेविंग सपोर्ट तकनीकों का प्रशिक्षण देती हैं, जिससे अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। भारत में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे जीवन को बचाने की संभावना बढ़ सके।
भारत में कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं
भारत में हर साल लगभग 5-6 लाख कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं दर्ज की जाती हैं। हालांकि, भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में दूरदराज के इलाकों से संबंधित आंकड़े जुटाना मुश्किल है, लेकिन कई पत्रिकाएं और शोध संस्थाएं ये आंकड़े प्रकाशित करती हैं।
आंकड़ों के अनुसार, कार्डियक अरेस्ट के 70-80% मामले घरों में या अस्पतालों के बाहर होते हैं, जहां मरीज को बीएलएस तकनीक का लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में, सिर्फ एक घंटे के “हैंड्स-ऑन सीपीआर” प्रशिक्षण से इन घटनाओं में मृत्यु दर को कम किया जा सकता है, और व्यक्ति को सही समय पर उपचार मिल सकता है।
कार्डियक अरेस्ट क्या है?
कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल का पंप काम करना बंद कर देता है, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है और उसकी धड़कन बंद हो जाती है। कार्डियक अरेस्ट के कारण, यदि जल्दी उपचार न किया जाए, तो मस्तिष्क और अन्य अंगों को नुकसान पहुंच सकता है और व्यक्ति की जान जा सकती है।
कार्डियक अरेस्ट को कैसे पहचानें?
यदि किसी व्यक्ति के शरीर की गर्दन में धड़कन (कैरोटिड पल्स) बंद हो जाती है और उसकी सांसें रुक जाती हैं, तो यह कार्डियक अरेस्ट का संकेत हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति न तो प्रतिक्रिया करता है और न ही सांस लेता है। यह स्थिति एक जीवन-घातक आपातकाल होती है, जहां सही समय पर सीपीआर करने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेसुसीटेशन) तकनीक
सीपीआर का पहला कदम है:
व्यक्ति की स्थिति का मूल्यांकन करें: जैसे ही आप किसी व्यक्ति को बेहोश होते हुए पाते हैं, उसकी पल्स और स्वांस की जांच करें (जैसा कि पहले बताया गया है)। यदि व्यक्ति की सांस और पल्स बंद हैं, तो तुरंत सीपीआर शुरू करें।
मदद के लिए कॉल करें: जब आप देख लें कि व्यक्ति की स्थिति गंभीर है, तो किसी को तुरंत एम्बुलेंस के लिए कॉल करने के लिए कहें। यदि आप अकेले हैं, तो आप खुद भी मोबाइल फोन से कॉल कर सकते हैं। इसे “Call for Help” कहते हैं। जितनी जल्दी एम्बुलेंस पहुंचेगी, उतनी जल्दी व्यक्ति को चिकित्सा सहायता मिल सकती है।
सीपीआर जारी रखें: मदद आने तक सीपीआर की प्रक्रिया को जारी रखें। हर 30 दबावों के बाद 2 सांसें दें और इसे तब तक दोहराते रहें जब तक मेडिकल सहायता न मिल जाए। अगर एम्बुलेंस का इंतजार करते हुए आप थक जाएं, तो पास में मौजूद किसी अन्य व्यक्ति को भी सीपीआर करने के लिए कहें।
सीपीआर करने के लिए, छाती के मध्य भाग (निपल्स के बीच) को 2 इंच की गहराई से दबाएं और इसे 30 बार दोहराएं। फिर, व्यक्ति के मुँह से दो बार सांस दें। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक आपको मेडिकल सहायता नहीं मिल जाती।
सीपीआर के लाभ
सीपीआर से, शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को रक्त का प्रवाह मिलता रहता है, जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन पहुंचता है और कार्डियक अरेस्ट से प्रभावित व्यक्ति के बचने की संभावना बढ़ जाती है। सही समय पर शुरू किया गया सीपीआर उपचार को आसान और प्रभावी बनाता है।
सीपीआर के नुकसान
सीपीआर तब ही करना चाहिए जब व्यक्ति की सांस और पल्स बंद हो चुके हों। अगर व्यक्ति होश में हो और उसकी सांसें सामान्य चल रही हों, तो सीपीआर देने से गंभीर चोट लग सकती है। इसलिए, सीपीआर करने से पहले, गर्दन की पल्स और स्वांस की जांच अवश्य करें।
सामुदायिक सलाह
सीपीआर को लेकर कई निःशुल्क प्रशिक्षण ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिन्हें लोग घर बैठे सीख सकते हैं। इसके अलावा, अपने समुदाय में चिकित्सकों की मदद से सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें, ताकि लोग इस महत्वपूर्ण जीवन रक्षा तकनीक के बारे में जागरूक हो सकें। इस प्रकार के प्रशिक्षण से अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामलों में जान बचाने की संभावना बढ़ सकती है और समाज में सुरक्षा का स्तर बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
सीपीआर एक जीवन रक्षा तकनीक है जो समय पर और सही तरीके से किया जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। इसलिए हर नागरिक को बेसिक लाइफ सेविंग सपोर्ट का प्रशिक्षण लेना चाहिए, ताकि हम किसी भी आपातकालीन स्थिति में मदद कर सकें। निःशुल्क सीपीआर (हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ) के लिए हमें dsdprakash3@gmail.com पर ईमेल करें।
डॉ दिनकर प्रकाश – बीएलएस, एसीएलएस प्रशिक्षक- अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन

- स्व. श्री विनोद कुमार बहरे