नये साल में कटनी जिले की हर तहसील होगी साइबर तहसील

मुख्यमंत्री एक जनवरी को खरगौन से लांच करने वाले थे। साइबर तहसील व्यवस्था

कलेक्टर श्री प्रसाद ने सभी एसडीएम को स्थानीय स्तर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा साइबर तहसील लांच करने के कार्यक्रम प्रसारण की व्यवस्था के दिए थे निर्देश

कटनी। कटनी सहित प्रदेश के राजस्व प्रशासन सुधार में साइबर तहसील व्यवस्था से नागरिकों के हित में अभूतपूर्व परिवर्तन होने जा रहा था।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेशव्यापी साइबर तहसील व्यवस्था की शुरुआत सोमवार एक जनवरी को खरगोन जिले से करने वाले थे।

कलेक्टर श्री अवि प्रसाद ने यहां इस संबंध में सभी एसडीएम को निर्देशित किया है कि मुख्यमंत्री जी द्वारा खरगोन जिले से किये जाने वाले साइबर तहसील व्यवस्था के शुभारंभ कार्यक्रम का स्थानीय स्तर पर प्रसारण सी एम इवेंट वेब-कास्टिंग के माध्यम से करने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। ताकि आमजन साइबर तहसील माड्यूल के संबंध में जान सकें।

कलेक्टर श्री प्रसाद ने साइबर तहसील व्यवस्था के बारे में लोगों को व्यापक जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। साइबर तहसील व्यवस्था से राजस्व प्रकरणों का निराकरण अत्यंत कम समय में हो जाएगा। भू-अभिलेखों में अमल के बाद सभी भू-अभिलेखों एवं आदेशों की सत्यापित प्रतिलिपि सम्बंधित पक्षकार को मिल सकेगी। अब अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का कम से कम समय में गुणवत्तापूर्ण निराकरण हो सकेगा।

साइबर तहसील की व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13-क में साइबर तहसील स्थापना के प्रावधान किए गए हैं। साइबर तहसील परियोजना फिलहाल 12 जिलों – सीहोर, दतिया, इंदौर, सागर, डिण्डौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर-मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा एवं उमरिया में चल रही थी।

कैसे होगा काम?

साइबर तहसील में पंजीयन से नामांतरण तक की सभी प्रकिया लागू कर दी गई हैं। साइबर तहसील को चार अलग-अलग प्लेटफार्मों जैसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, स्मार्ट एप्लीकेशन फार रेवेन्यू एप्लीकेशन (SARA) पोर्टल और रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (RCMS) पोर्टल से जोड़ दिया गया है।
सायबर तहसील में ऐसे सभी प्रकरणों का निराकरण होगा जो संपूर्ण खसरा से संबंधित हो। जिसे विभाजित नहीं किया गया एवं ऐसी जमीन, जो किसी प्रकार से गिरवी या बंधक न रखी गई हो।
पोर्टल पर पंजीयन करने और रजिस्ट्री के बाद रेवेन्यू पोर्टल पर स्वत: केस दर्ज हो जाएगा।
इसके बाद सायबर तहसीलदार द्वारा जाँच की जाएगी। सूचना के बाद इश्तेहार एवं पटवारी रिपोर्ट के लिए मेमो जारी किया जाएगा। इसके बाद आदेश पारित कर भू-अभिलेख को अपडेट किया जाएगा।
दस दिन बाद दावा-आपत्ति प्राप्त नही होने पर ई-मेल एवं वाट्सअप से आदेश दिए जायेंगे। रजिस्ट्रार कार्यालय में विक्रय-पत्र (रजिस्ट्री) निष्पादन के दौरान आवेदक को आवश्यक प्रकिया शुल्क एवं निर्धारित प्रारूप में सामान्य जानकारी देनी होगी।
ऐसे पंजीयन जिसमें संपूर्ण खसरा नंबर या संपूर्ण प्लॉट समाहित है और किसी भी खसरा या प्लॉट का कोई विभाजन नहीं है, तब ऐसे प्रकरण में पंजीकृत विक्रय विलेख (रजिस्ट्री) का स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से आर सी एम एस पोर्टल पर साइबर तहसील को भेज दिया जाता है।
साइबर तहसीलदार पंजीकृत दस्तावेज की राजस्व भू-अभिलेख से मिलान कर क्रेता, विक्रेता और सम्बंधित ग्राम के सभी निवासियों को एस एम एस के माध्यम से नोटिस जारी करता है। इस नोटिस में आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए लिंक भी होता है। साथ ही एक सार्वजनिक इश्तेहार तहसील के बोर्ड पर भी लगा रहता है। एक ऑनलाइन मेमो पटवारी प्रतिवेदन के लिए भी जारी होता है।

अनूठी प्रक्रिया

दस दिन में कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर और पटवारी के मेमो में भी कोई आपत्ति नहीं होने पर साइबर तहसीलदार द्वारा प्रकरण में नामांतरण आदेश पारित कर अभिलेखों को अपडेट कर दिया जाता है।
निराकरण, आदेश पारित किए जाने पर संबंधित को एसएमएस से सूचना दी जायेगी और ई-मेल के माध्यम से पारित आदेश की सत्यापित प्रति भी भेजी जाएगी।
साइबर तहसील में पदस्थ किए गए नायब तहसीलदारों को प्रोसेस मॉड्यूल एवं नियमों का गहन प्रशिक्षण दिया गया है। ज़िला पंजीयक , उप पंजीयक को भी प्रशिक्षण दिया गया है।

कौन से प्रकरण निराकृत होंगे?

साइबर तहसील में ऐसे मामलों का निराकरण (नामांतरण) किया जा रहा है, जिसमें संपूर्ण खसरा नंबर या संपूर्ण प्लॉट समाहित है और किसी भी खसरा या प्लॉट का कोई विभाजन नहीं है।

साइबर तहसील के लाभ:-

रजिस्ट्री के बाद बिना आवेदन किये नामांतरण का प्रकरण दर्ज हो जाता है।
इस प्रक्रिया में क्रेता और विक्रेता को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में उपस्थित होने या पेशी पर आने की जरूरत ही नहीं होती।
संपूर्ण प्रक्रिया फेसलेस एवं पेपरलेस है।
संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शी है। इसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं है।
क्रेता-विक्रेता तथा ग्राम के सभी निवासियों को नोटिस एसएमएस से मिलता है। नोटिस आर सी एम एस पोर्टल पर भी पर भी दिखता है।
ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की जा सकती है।
अंतिम आदेश की कॉपी ई-मेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवेदक को मिलेगी।
आदेश पारित होते ही भू-अभिलेखों (खसरे,नक़्शे) में स्वतः सुधार हो जाता है।
आदेश एवं राजस्व अभिलेखों में अमल की प्रक्रिया सरकारी छुट्टियों को छोड़कर 15 दिनों में पूरी हो जाएगी।
इस व्यवस्था ने क्षेत्राधिकार की सीमाओं को भी समाप्त कर दिया है।
इस प्रणाली से रियल टाइम में भू-अभिलेख अपडेट किए जाने की अनूठी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे पटवारी का हस्तक्षेप भी नहीं रहेगा।
पटवारी रिपोर्ट ऑनलाइन जमा कराने की सुविधा है।
कम से कम समय में निराकरण होगा। पहले इन प्रक्रियाओं में औसत 60 दिन लग जाते थे। साइबर तहसील में औसत 15 दिनों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो जायेगी।
साइबर तहसील द्वारा पारित आदेश की पीडीएफ प्रति आवेदक को ईमेल,व्हाट्सएप से मिल जाएगी। इसकी प्रति आर सी एम एस पोर्टल पर भी अपलोड होगी।

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