मध्य प्रदेश में मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में अनुभव को मिला महत्व

भोपाल। मंत्रिमंडल विस्तार के छठवें दिन शनिवार को मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने मंत्रियों के बीच कामकाज का बंटवारा कर दिया। उन्होंने अपने पास गृह, जेल, जनसंपर्क, सामान्य प्रशासन (जीएडी), औद्याेगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, नर्मदा घाटी विकास, खनिज साधन, विमानन, लोक सेवा प्रबंधन, प्रवासी भारतीय विभाग रखे हैं।
उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को वित्त, वाणिज्यिककर, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी और राजेंद्र शुक्ल को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा विभाग दिए हैं।


मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने उम्मीद के अनुरूप ही मंत्रिमंडल के साथियों को विभाग के बंटवारे में संतुलन साधने का काम किया है। अनुभव को जहां महत्व दिया गया है, वहीं नए मंत्रियों को काम करने का मौका दिया है। कैलाश विजयवर्गीय को नगरीय विकास एवं आवास देकर शहरी विकास को गति देने तो प्रहलाद सिंह पटेल को ग्रामीण विकास के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन का दायित्व दिया है।

ये दोनों ही विभाग आमजन से जुड़े हुए हैं। विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा भी विजयवर्गीय के पास रहेगा। वहीं, वित्तीय प्रबंधन का दारोमदार फिर जगदीश देवड़ा के ऊपर रहेगा। शिवराज सरकार में भी देवड़ा ने किसी विभाग को राशि का संकट नहीं आने दिया।

मुख्यमंत्री ने जनजातीय कार्य विभाग का काम देख चुके विजय शाह को फिर एक बार आदिवासियों के हित में सरकार द्वारा किए जा रहे कामों को आगे बढ़ाने की जवाबदारी दी है। शिवराज सरकार में उनके पास वन विभाग था पर पिछले दिनों वे एक विवाद में घिर गए थे।

अब वन विभाग नागर सिंह चौहान को दिया है। वे अनुसूचित जाति कल्याण का काम भी देखेंगे। तुलसीराम सिलावट और प्रद्युम्न सिंह तोमर को फिर वही विभाग मिले हैं, जो शिवराज सरकार में उनके पास थे। गोविंद सिंह राजपूत को भी उनका पुराना विभाग यानी खाद्य नागरिक आपूर्ति मिला है। विश्वास सारंग भी सहकारिता विभाग देख चुके हैं।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकार से समृद्धि का मंत्र दिया है और सहकारिता मंत्रालय भी बनाया है, जिसकी कमान केंद्रीय मंत्री अमित शाह संभाल रहे हैं। आने वाले दिनों में सहकारी समितियों और जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के चुनाव होने हैं। इस दृष्टि उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। चेतन्य काश्यप की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग का मंत्री बनाया है।

सरकार का फोकस छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने पर है। इंदर सिंह परमार को स्कूल शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा, आयुष और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में काम दिया गया है। शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा का दायित्व डा.मोहन यादव के पास था और उनके रहते ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में था।

प्रदेश में अधोसंरचना विकास के काम तेजी के साथ चल रहे हैं और पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ाया जा रहा है। केंद्र सरकार के कई परियोजनाएं चल रही हैं तो कुछ पर काम होना है। संकल्प पत्र में भी अधोसंरचना विकास पर जोर दिया है। इसे गति देने का काम सांसदी छोड़कर पहली बार विधायक बने राकेश सिंह को लोक निर्माण विभाग का दायित्व देकर किया गया है। उधर, पहली बार मंत्री बनीं संपतिया उइके को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और धर्मेंद्र लोधी को संस्कृति, पर्यटन एवं धार्मिक न्यास जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए हैं।

कृष्णा गौर को पिछड़ा वर्ग के क्षेत्र में काम करने का मौका दिया गया है। उन्होंने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का सदस्य रहते पूरे प्रदेश का दौरा किया था। वहीं, मंत्री बने पहली बार के विधायकों को वरिष्ठों के अधीन कर उन्हें काम सीखने का अवसर दिया है।

मुख्यमंत्री के पास ही रहते हैं सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क
मुख्यमंत्री ने हर बार की तरह सामान्य प्रशासन और जनसंपर्क विभाग अपने पास ही रखे हैं। उन्होंने कानून व्यवस्था और औद्योगिक विकास से जुड़े विभाग भी अपने पास ही रखे हैं। दरअसल, सरकार का फोकस कानून व्यवस्था के साथ-साथ औद्योगिक विकास के माध्यम से रोजगार के अवसर बनाने पर है, इसलिए गृह और उद्योग विभाग उन्होंने अपने पास रखे हैं। इसके अतिरिक्त जो विभाग किसी मंत्री को आवंटित नहीं हैं, वे भी उनके पास ही रहेंगे।

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