खनिज विभाग, जिला प्रशासन व स्टेट इन्वायरमेंट ऐसेसमेंट अथॉरिटी की बेपरवाही, लोगाें की जेब पर पड़ रहा डाका
कटनी। रेत कंपनी का गठजोड़ इन दिनों लोगाें की जेब में डाका डाल रहा है। रही-सही कसर सप्लायर भी नहीं छोड़ रहे। एक हाइवा में 10 हजार रुपए से अधिक की रायल्टी बढ़ाकर 10 हजार रुपए से भी अधिक दाम में रेत बेची जा रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि रेत खनन के लिए नवीन टेंडर होना व ठेका बदलने के बाद अबतक जिले की 49 में से 45 खदानाें का चालू ना हो पाना है। नियम के अनुसार एक अक्टूबर से नई कंपनी धनलक्ष्मी को रेत खनन का काम मिल जाना था, लेकिन अभी तक पर्यावरणीय स्वीकृति ना मिल पाने के कारण समस्या बनी हुई है। दो माह का समय बीत जाने के बाद भी खदानें चालू ना हो पाना सिस्टम में एक बड़ा सवाल है।
जानकारी के अनुसार जिलेभर में 49 रेत खदानाें की नीलामी हुई है, इनमें से मात्र 4 खदानें ही अबतक शुरू हो पाई हैं। वालू खदानाें से मनमाने दाम में रेत बेची जा रही है। जानकारी के अनुसार हाइवा की 28 हजार रुपए रायल्टी है पहले 18 हजार थी, 10 हजार रुपए की रायल्टी बढ़ाकर 700 फीट रेत का हाइवा 40 से 42 हजार रुपए में बेचा जा रहा। जिन बड़े हाइवा में पटरे लगे हैं उनमें हजार फीट रेत भरकर 60 हजार रुपए में बेची जा रही है। वहीं ट्रक में 24 हजार रुपए से 28 हजार रुपए में रेत बची जा रही है। 16 इसमें हजार रुपए रायल्टी, 4 हजार रुपए डीजल, 1 हजार रुपए स्टॉफ खर्च लगना बताया जा रहा है। कुल 21 हजार रुपए लागत आ रही है, ट्रक मालिक रेत को 24 हजार रुपए में बेचना बता रहे हैं।
पर्यावरणीय स्वीकृति ट्रांसफर नहीं
दो माह बाद भी पर्यावरणीय स्वीकृति ट्रांसफर नहीं हो पाई है। स्टेट इन्वायरमेंट ऐसेसमेंट अथॉरिटी भोपाल को यी प्रक्रिया करना है, लेकिन समय पर नहीं की जा रही है। अधिकारी आचार संहिता का राग अलाप रहे हैं तो वहीं जिम्मेदार अफसर भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे। रेत ठेकेदार व सप्लायर जमकर लोगाें की जेब काट रहे हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है।
लग रही अधिक रायल्टी
रेत कारोबारियों ने बताया कि वर्तमान में खदानें कम होने के कारण रेत महंगी दी जा रही है। ट्रक में 400 फीट रेत आती है, जिसकी 16 हजार रुपए रायल्टी ली जा रही है। लोगों को यह ट्रक 22 से 25 हजार रुपए में पड़ रहा है, लेकिन जब खदानें चालू थीं तो यह रेत 16 हजार रुपए में मिल रहा था। हाइवा में लेने पर 40 से 42 हजार रेत पड़ रही है, इसमें 700 फीट रेत रहती है। हाइवा की रायल्टी 28 हजार रुपए लग रही है। ट्रैक्टर में 75 से फीट तक रेत आती है, इनमें से लोगों को 5500 रुपए प्रति ट्राली रेत लोगों को मिल रही है।
घर बनाना हो रहा कठिन
पहले बारिश के कारण लोगों को रेत नहीं मिल रही थी तो वहीं अब खदानें शुरू न होने के कारण समस्या हो रही है। हर दिन रेत के दाम बढ़ रहे हैं। सप्लायर भी सिंडीकेट बनाए हुए हैं। भाव अधिक होने के कारण लोगाें को घर बनाना सहित अन्य निर्माण कार्य बड़ा कठिन हो रहा है।
कंस्ट्रक्शन ग्रुप भी कर चुका है मांग
रेत ना मिलने के कारण हो रही समस्या से सिविल कंस्ट्रक्शन ग्रुप भी परेशान है। एक माह पहले कलेक्टर अवि प्रसाद से भेंटकर शीघ्र खदानें चालू कराने मांग रखी थी, जिसके बाद चार खदानें तो चालू हुईं, लेकिन शेष खदानें अभी भी स्वीकृति न मिल पाने के कारण बंद पड़ी हैं। रेत न मिलने से निर्माण कार्य ठंडे पड़े हैं व लोगाें को पर्याप्त मात्रा में काम भी नहीं मिल रहा, मिस्त्री, बेलदार, लेबर पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है।
आचार संहिता लगी हुई है, इसलिए खदानें चालू नहीं हो पाईं। 4 खदानें चल रही हैं। तीन दिसंबर के बाद ही जिले की रेत खदानें चालू होंगी। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए भोपाल स्तर से प्रक्रिया होनी है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है।
संतोष सिंह जिला खनिज अधिकारी
- स्व. श्री विनोद कुमार बहरे